IPS Manish Agrawal : जयपुर। भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामलों में देश के चर्चित आईपीएस मनीष अग्रवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं है। रिश्वत लेने के आरोप में 6 महीने जेल की हवा खाने वाले इस आईपीएस के खिलाफ अब मुकदमा चलेगा। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होने के नाते राजस्थान सरकार ने भारत सरकार से उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए इजाजत मांगी थी। जिसे डीओपीटी से हरी झंडी मिल गई है। मनीष अग्रवाल पिछले तीन साल से लगातार सस्पेंड चल रहे हैं।
शातिर इतने के कैडर चेंज करने शादी कर ली फिर तलाक दे दिया
यूपी के रहने वाले मनीष अग्रवाल 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। आईपीएस में उन्हें जम्मू कश्मीर कैडर मिला था। बाद में उन्होंने राजस्थान कैडर की आईपीएस से शादी की और इसी आधार पर उनका कैडर चेंज हो गया और इसके बाद वे राजस्थान आ गए। कहा जाता है कि, मनीष ने बड़े शातिराना ढंग से कैडर बदलवाने के लिए शादी की और उसके बाद पत्नी को तलाक दे डाला।
38 लाख के रिश्वत केस में 6 महीने जेल
मनीष 2010 बैच के आईपीएस हैं और 2021 में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हो गए। वे मात्र दो जिलों में 10 महीने एसपी रहे और इस छोटे से कार्यकाल में उन्होंने कई कारनामे कर डाले। मार्च 2014 में मनीष अग्रवाल जम्मू कश्मीर से राजस्थान कैडर में आए थे। अक्टूबर 2014 में उनकी पहली पोस्टिंग हेडक्वार्टर में मिली। साल 2018 में वे करीब 4 महीने तक बाड़मेर जिले के एसपी रहे। इसके बाद जुलाई 2020 में दूसरी बार दौसा जिले के एसपी बने। भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दौसा में हाईवे बना रही कंपनी से 38 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में 2 फरवरी 2021 को IPS मनीष अग्रवाल को जयपुर से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के वक्त वे SDRF में कमाडेंट के पद पर थे। उन पर दौसा में SP रहते हुए रिश्वत लेने का आरोप है। मनीष अग्रवाल से पहले दौसा में ही ACB ने बांदीकुई एसडीएम रहीं RAS पिंकी मीणा को 10 लाख रुपए की रिश्वत मांगने व दौसा एसडीएम रहे RAS पुष्कर मित्तल को 5 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
जहां-जहां इस IPS के कदम पड़े, वहां-वहां किया भ्रष्टाचार
जम्मू-कश्मीर में एएसपी रहने के दौरान भी उन पर हत्या का केस दबाने का आरोप लगा था। तब वहां के एसीबी ने उनके खिलाफ केस रजिस्टर किया था। मगर अभियोजन की स्वीकृति तब नहीं मिल पाई। इस वजह से इस केस में मनीष अभी तक बचे हुए हैं। राजस्थान में भी आईपीएस मनीष पर आरोप है कि एसपी रहते हुए थाना प्रभारियों को 16 और 17 सीसी का नोटिस जारी करते थे। फिर कार्रवाई नहीं करने की एवज में रुपए वसूलते थे। कई थानेदारों से महीना वसूलने की शिकायतें भी सामने आई थी। दौसा जिले के पुलिस अधीक्षक रहने के दौरान बलात्कार के मामले को दबाने के लिए भी 25 लाख रुपए लेने की शिकायत मिली थी जिसकी जांच विजिलेंस के पास है।