2018 में विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारी भाजपा ने 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में
11 में से 9 जीत ली थीं। कारण मोदी का जादू…. ।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद 4 बार लोकसभा चुनाव हुए यानि कुल 44 सीटों पर चुनाव हुए थे। इन 44 में कुल जमा छह सीटें ही कांग्रेस जीत पाई थी। छह नेताओं को ही लोकसभा पहुचा पाई।
निस्संदेह इस बार के लोकसभा चुनावों में भाजपा का मनोबल बेहद उंचा है। कारण कि इस बार भाजपा ने विधानसभा में भी बाजी मारी है। अब वो पिछली दो सीटें भी कांगे्रस को देने के पक्ष में नहीं है। भाजपा का हौसला बहुत हाई है। जाहिर है इसीलिये टिकट की रस्साकशी भी उच्च स्तर पर कायम है।
अभी लगभग एक सप्ताह बाकी है लोकसभा चुनाव की घोषणा में।
जबकि भाजपा की बैठक दिल्ली में अनवरत जारी है अंतिम निर्णय के लिये। इस बैठक मं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमितशाह और भाजपा अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा प्रमुख नेता होंगे जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रदेश अध्यक्ष किरण देव भी उपस्थित रहेंगे।
चारों तरफ चुनावी शोर
भाजपा की तैयारी घनघोर
यू ंतो भाजपा हमेशा ही चुनावी मोड में रहती है। नींद से उठाकर कह दो तब भी भाजपा के लोग बिना नानुकुर के चुनावी द्वन्द मे उतर जाते हंै। हर चुनाव में भाजपा जीजान से जुटती है। इस बार तो मोदीजी ने 370 का दावा किया है तो इन चुनावी समर की धार और तेज हो जाती है।
दिल्ली में आज की बैठक में पहले चरण में छह सीटों पर ऐलान किये जाने की संभावना है। कोरबा से सरोज पाण्डे दुर्ग से विजय बघेल और सरगुजा कमल भंज सिंह का नाम फाईनल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा राजनांदगांव, महासमुंद और बस्तर सीट के लिये भी पार्टी पहले घोषणा करेगी।
प्रथम चरण में भाजपा 100 सवा सौ प्रत्याशी घोषित कर सकती है। बताया यह भी जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों के नाम पहले ही तय किये जा चुके हैं।
हालांकि हर सीट के लिये संभावित सूची में दो से चार प्रत्यशी हैं। चुनाव समिति द्वारा स्थानीय नेताआंे से चर्चा कर जिताउ कैण्डीडेट लगभग तय कर लिया गया है। जहां पर भाजपा को जरा भी कमजोरी लगती है वहां पर सबसे पहले ऐलान ए जंग कर देती है। इसीलिये आचार संहिता से पहले ही घोषणा की जा रही है।
संभावित उम्मीदवार
जहां भाजपा को आसानी का अहसास होता है वहां पर वार बाद में करती है पर जहां कमजोरी के कयास लगाए जाते हैं वहां पहले से आक्रामक मुद्रा में आ जाती है। इसके अलावा मोदी और शाह के काम करने का तरीका कुछ अलग और चैंकाने वाला है। आमतौर पर ये देखा गया है कि आराम से ऐसे लोगों का टिकट काट दिया जाता है जिनके बारे में प्रायः ‘पक्की है’ का विश्वास रहता है। साथ ही ऐसे किसी को टिकट दे दिया जाता है जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं गया हो।
खयाल ये रखा जाता है कि विनिंग हो, युवा हो, महिला हो, अनुभवी हो, सक्षम हो ये कुछ आधार हैं जो नाम तय करेंगे। जाहिर है इन सभी प्रश्नों में जिसके पास ज्यादा उत्तर होंगे उसके नंबर बढ़ेंगे और जिसके नंबर सबसे ज्यादा हांेेगे उसे टिकट मिलेगी।
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक